|
2
करबला की घटना के पश्चात इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम मदीने वापस आए और समाज की तत्कालीन परिस्थतियों की गूढ समीक्षा करके धार्मिक शिक्षाओं के प्रसार और उमवी शासकों की धूर्त
छवि को पहचनावे के लिए व्यापक कार्यक्रम तैयार किये। इमाम सज्जाद के इन प्रयासों ने इस्लामी समाज को ज्ञान और संस्कृति संबंधी उपलब्धियां प्रदान कीं।
उन्होंने मस्जिदे पैग़म्बर में ज्ञान संबन्धी भाषण देकर ज्ञान प्रेमियों के लिए ईश्वरीय ज्ञान प्राप्ति की भूमिका प्रशस्त की और लोगों को धर्म की गहरी पहचान की प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित किया।
इमाम सज्जाद की इमामत के काल ने अपने पश्चात के दो इमामों अर्थात इमाम मुहम्मद बाक़र अलैहिस्सलाम और
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम के लिए वैज्ञानिक और सांसकृतिक गितिविधियों के लिए भूमि प्रशस्त की।
प्रार्थना या फिर उपदेशों के रूप में इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम के कथन, मनुष्यों के वक्तित्व के विकास के उद्दे्श्य से प्रस्तुत किये गए हैं।
वे सदा ही लोगों में आत्मसुधार और नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के प्रचार के लिए प्रयासरत थे।
यही कारण है कि इमाम सज्जाद अपने काल के लोगों और अपने मानने वालों को सीधे मार्ग की ओर बुलाते तथा विभिन्न अवसरों पर
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आन्दोलन को जीवित करते तथा इस आन्दोलन के लक्ष्यों का उल्लख करते।
इमाम सज्जाद के कथनों में से कुछ को एक विद्वान अबूहम्ज़ा सोमाली ने एक स्थान पर प्रस्तुत किया है। यह कथन बताते हैं कि इन्हें विशेष अनुयाइयों के बीच बयान किया गया है।
इमाम कहते हैं कि ईश्वर हमें और तुम्हें अत्याचारों के धोखे, द्वेष रखने वालों के अत्याचारों तथा तानाशाहों की ज़ोर-ज़बरदस्ती से सुरक्षित रखे।
हे मोमिनो! तुम उन संसारप्रेमी लोभियों के धोखे में न आ जाओ जो मूल्यहीन अनुकंपाओं और शीघ्र समाप्त हो जाने वाले आनंदों के पीछे भागते हैं।
पिछले दिनों में तुमने बहुत सी घटनाएं देखी हैं और तुम बहुत से उपद्रवों से सुरक्षित बच गए जबकि तुम सदा ही गुमराहों और धर्म में नई बातें सम्मिलित करने वालों से दूरी बनाते रहे हो।
बस अब भी ईश्वर से सहायता चाहो और ईश्वर तथा ईश्वरीय प्रतिनिधि के अनुसरण की ओर पलटो क्योंकि वे अधिक उचित हैं।
अतः पापियों के साथ उठने-बैठने और अत्याचारियों के साथ सहकारिता से बचो।
इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की सांस्कृतिक और आस्था संबन्धी नीतियों में से एक नीति यह थी कि आम जनमत को विभिन्न विषयों से अवगत कराने के लिए
वे दोआ या प्रार्थना का सहारा लेते थे। उन्होंने राजनैतिक, समाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक विषयों को बहुत ही सुन्दर ढंग से दुआओं के रूप में प्रस्तुत किया है।
उनकी इन दुआओं के संक्लन का नाम सहीफ़ए सज्जादिया है जिसमें ५४ दुआएं एकत्रित की गई हैं। यह पुस्तक पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के गौरवों में से एक है।
इमाम सज्जाद की दुआएं, उनकी पवित्र, निष्ठावान और प्रेमी आत्मा के एक भाग को प्रदर्शित करती हैं जिससे ज्ञान, तत्वदर्शिता और ईश्वरीय भय के सोते फूटते हैं।
इस प्रकार सहीफ़ए सज्जादिया नामक पुस्तक, पूरे इतिहास में मोमिनों के लिए प्रेरणादायक और सत्य के मार्ग पर चलने वालों के लिए आध्यात्मिक पूंजी रही है।
इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की स्पष्टतम विशेषताओं में से एक, वंचितों के प्रति लगाव और उनकी सुध लेना था। प्रसिद्ध विद्वान अबुहम्ज़ा सोमाली कहते हैं कि
इमाम सज्जाद रात के अंधेरे में खाद्य सामग्रियों को अपनी पीठ पर लादकर एक अपरिचित के रूप में उन्हें वंचितों में वितरित किया करते थे।
वे कहते थे कि छिपकर दिया जाने वाला दान, ईश्वर के क्रोध को कम करता है।
इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने वास्तविक्ताओं को स्पष्ट करने और अपने तत्वदर्शितापूर्ण वक्तव्यों से मानव के लिए स्पष्ट मार्ग प्रशस्त किया ताकि वे अपने हृदय एवं विचारों
को प्रकाशमयी कर सकें। इन समस्त अच्छाइयों के बावजूद अत्याचारी उमवी शासक, इमाम सज्जाद के अस्तित्व को सहन नहीं कर पा रहे थे।
इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम के ईश्वरीय मार्गदर्शन के ३४ वर्षीय काल के पश्चात वलीद बिन अब्दुल मलिक नामक उमवी शासक के आदेश पर उन्हें वर्ष ९५ हिजरी क़मरी में शहीद कर दिया गया।
******
अंत हम इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम के कुछ स्वर्ण कथन;
1. जो लोग सच्चे मार्गदर्शन के बिना आगे बढ़ते हैं उन का मार्ग संकीर्ण है। ईश्वर के साथ रहो ताकि दूरियां तुम्हारे लिए निकट हो जाएं और कठिनाइयां सरल हो जाएं।
2. इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम पवित्र क़ुरआन के संदर्भ में कहते हैं- क़ुरआन चमकता हुआ प्रकाश, पिछली किताबों का पुष्टि कर्ता और वरिष्ठतम आसमानी वाणी है।
क़ुरआन मानवता के मार्गदर्शन के लिए ऐसा उज्जवल व प्रकाशमयी दीप है जो बुझेगा नहीं और यह सदैव सच्चाई को स्पष्ट करने वाला है।
क़ुरआन एसा मोक्षदाता ध्वज है कि जिसके पीछे जो भी जाएगा पथभ्रष्ट नहीं होगा। जो भी उसके संरक्षण में जाएगा वह उसे संरक्षण देगा और उसे तबाह होने से सुरक्षित रखेगा।
| |