अमर शौर्यगाथा
 



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भोर का समय एक अन्य सूर्योदय की प्रतीक्षा में था। संसार पर सन्नाटा छाया हुआ था, मानो किसी आने वाले तूफ़ान से पहले का मौन छाया हुआ हो।



हुसैन अलैहिस्सलाम एक अनोखी शौर्यगाथा रचने के विचार में डूबे हुए थे।



वो हज को उमरे से बदलकर मक्का से रवाना होने वाले थे क्योंकि उन्होंने ईश्वरीय आदेश को व्यवहारिक बनाने के लिए मुसलमानों को एक अत्याचारी और अयोग्य



शासक से मुक्ति दिलाने का संकल्प किया था। कूफ़े के मार्ग में वो लोगों से कहते थेः हे लोगो! पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम का कथन है कि जो कोई



अत्याचारी शासक के बारे में यह जान ले कि वो ईश्वर द्वारा वर्जित किए गए कार्यों को वैध समझता है और पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की



परम्परा के विरुद्ध व्यवहार करता है तथा लोगों में पाप और अत्याचार का प्रचलन करता है और इसके बाद भी वह व्यक्ति शब्दों और अपने व्यवहार से उस



अत्याचारी शासक से संघर्ष न करे तो उसे याद रखना चाहिए कि ईश्वर उसे उस स्थान पर पहुंच देगा जिसके वो योग्य है। अर्थात दुर्भाग्यपूर्ण अंजाम उसकी प्रतीक्षा में है।



ज़ुहैर इब्ने क़ैन जो रास्ते में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कारवां में शामिल हुए थे, अपने स्थान से उठे और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को विश्वास दिलाया



कि उनके श्रद्धालु सांसारिक जीवन पर अपने इमाम की सहायता को प्राथमिकता देते हैं।



उसी समय कुछ घुड़सवार दूर से आते दिखाई दिए। यह लोग कौन थे?



सवार निकट आए।



इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने पूछाः कूफ़े का समाचार क्या है?



एक सवार ने उत्तर दियाः पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के नाती पर हमारा सलाम हो। कूफ़े में धनवानों और क़बीले के सरदारों को धन दौलत देकर ख़रीद लिया गया है।



उनकी जेबें भर दी गई हैं और उनसे सांठ-गांठ कर ली गई है। हे इमाम! वे आपके विरुद्ध एकजुट हो गए हैं।



एक अन्य सवार ने कहाः आम जनता के हृदय आज भी आपके साथ हैं किंतु उनकी तलवारें कल आपके विरुद्ध उठेंगी।



इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने प्रश्न कियाः क्या मेरा दूत तुम्हारे पास पहुंचा था?



एक ने उत्तर दियाः हां पहुंचे थे। किंतु इब्ने ज़्याद के साथियों ने उन्हें पकड़ लिया था और उन्हें इस बात पर विवश किया जा रहा था कि लोगों के सामने आपको बुरा भला कहें किंतु उन्होंने



निर्भीकता के साथ आपकी और आप के महान पिता की सराहना की और इब्ने ज़्याद की आलोचना की। इसके बाद इब्ने ज़्याद के आदेश पर उन्हें शहीद कर दिया गया।



इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथियों ने बड़ी चिंता के साथ कहाः हे पैग़म्बरे इस्लाम के नाती! आप जिस मार्ग से आए हैं उसी से लौट जाइए।



अब यह स्पष्ट हो चुका है कि कूफ़े वाले आपकी सहायता नहीं करेंगे।



परंतु ऐसा लग रहा था कि आने वाले घुड़सवारों के शब्दों ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को और भी दृढ़ संकल्पित कर दिया। उन्होंने क़ुरआन की



वह आयत पढ़कर अपने दूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिसका अर्थ हैः ईमान लाने वालों के बीच ऐसे लोग हैं जो ईश्वर को दिए अपने वचन पर सच्चाई के साथ कटिबद्ध रहते हैं।



उनमें से कुछ अपने वचन को पूरा कर चुके हैं और कुछ अन्य, प्रतीक्षा में हैं और वो बिल्कुल नहीं बदले हैं।



इसके पश्चात इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने आदेश दिया कि घोड़ों को पानी पिलाया जाए और एक महान शौर्यगाथा रखने की तैयारियां पूरी कर ली जाएं।