अमर सच्चाई, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम
 




हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम धार्मिक मूल्यों के संरक्षक और पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की परम्पराओं के प्रचारक थे।



वह इस्लाम के महान लक्ष्यों के मार्ग में किसी भी परिश्रम से पीछे नहीं हटते थे।



उनके महत्वपूर्ण कार्यों में इस्लाम को नया जीवन प्रदान करना और भुला दी जाने वाली मान्यताओं को पुनर्जीवित करना है।



इसी लिए लोग कहते हैं कि मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने मानवता को इस्लाम दिया और हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने पूरे अस्तित्व से उसकी रक्षा की।



पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के स्वर्गवास को पचास वर्ष का समय भी नहीं हुआ था कि



शासकों ने आर्थिक व सामाजिक मामलों के स्तर पर गड़बड़ फैला दी थी, नैतिकता का रंग फीका पड़ने लगा था और स्वार्थ तथा अवसरवाद बहुत बढ़ गया था।



अत्याचारी उमवी शासकों ने बड़े दुस्साहस का प्रदर्शन करते हुए धर्म को अपने सांसारिक स्वार्थों के लिए प्रयोग करना आरंभ कर दिया था।



उन्होंने धार्मिक नियमों में फेर बदल करके समाज को पतन के मार्ग पर अग्रसर कर दिया। इन परिस्थितियों में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम जैसे ज़िम्मेदार मार्गदर्शक का चुप रहना संभव नहीं था



वह संस्कृति और महान इस्लामी मूल्यों व नियमों का पतन नही देख सकते थे।



वह इतिहास के अति विशिष्ट मोड़ पर खड़े हुए थे और उन्हें पूर्ण रूप से ज्ञान था कि उनके निर्णय का भविष्य निर्धारण में पहुत गहरा प्रभाव होगा।



इसी लिए वह अत्याचार भ्रष्टाचार और पथभ्रष्टता के विरुद्ध पूरी शक्ति से उठ खड़े हुए और समाज को बुराइयों से सुरक्षित करने के लिए कमर कस ली।



चूंकि इमाम हुसैन और उनके साथियों ने कर्बला में अपनी जान न्योछावर करके ईश्वरीय धर्म की रक्षा की इस लिए ईश्वर ने भी उन्हें लोक व परलोक की गरिमा व प्रतिष्ठा प्रदान की।



हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन का सार उस दायित्व का निर्वाह था जो उस अति संवेदनशील चरण में ईश्वर ने उन्हें सौंपा था।



स्पष्ट है क जो व्यक्ति ईश्वर की प्रसन्नता के लिए उसके मार्ग में क़दम बढ़ाता है उसके निकट मरने और मिट जाने का कोई भय नहीं होता।



इमाम हुसैन और उनके महान साथियों के बलिदान से समाज से अज्ञानता और अत्याचार का निवारण हुआ और सत्य का सूर्य जगमगाने लगा।



हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के व्यक्तित्व का एक अति सुंदर आयाम ईश्वर से उनका गहरा संपर्क और पालनहार से उनका प्रेम और श्रद्धा थी।



निश्चित है कि ईश्वर की उपासन के बड़े अच्छे प्रशैक्षिक प्रभाव होते हैं और इससे आध्यात्मिक परिपूर्णता का मार्ग प्रशस्त होता है।



यह कृत्य बंदों की प्यासी आत्मा को अनंत व असीम ईश्वरीय सोते से जोड़ देता है।



उपासना और आध्यात्म के क्षेत्र में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का स्थान बहुत ऊंचा थ।